रश्मिरथी का कथ्य

कौरवों और पाण्डवों के शस्त्रास्त्र के कौशल-प्रदर्शन में अर्जुन के शस्त्र कौशल से समस्त सभा स्तब्ध है। तभी कर्ण प्रकट होकर अर्जुन को द्वन्द्व युद्ध के लिए ललकारता है। कृपाचार्य जाति और वंश की चर्चा चलाकर अर्जुन को द्वन्द्व युद्ध से बचा लेते हैं। इसके पश्चात् संध्या हो जाती है। सभी अपने-अपने घर लौट जाते … Read more

रश्मिरथी का प्रतिपाद्य

‘रश्मिरथी’ की कथा वस्तु मौलिक नहीं है। यह ‘महाभारत’ से उद्धृत की गयी है। परन्तु यह कवि की मौलिक अनुभूति और अपनी विशिष्ट अभिव्यंजना शक्ति है जिससे उधार की कथा-वस्तु’ को उसने अपने ढंग से व्यक्त कर इसे एक नूतन कलाकृति के रूप में उपस्थित किया है। इस नूतन कलाकृति से कवि को चाहे जितना … Read more

कर्ण-कुन्ती सम्वाद : रश्मिरथी आधारित कर्ण कुंती संवाद

कर्ण कुन्ती का पुत्र है जिसका जन्म तब हुआ था जब कुन्ती कुमारी थी। कौमार्यावस्था में संतान का होना भारतीय संस्कृत में उचित नहीं माना जाता कुन्ती समाज के भय से कर्ण को मंजूषा में बन्द कर नदी में बहा देती है। किन्तु कर्ण बच जाता है। जब कौरव और पाण्डवी का युद्ध प्रारम्भ होने … Read more

कर्ण-कृष्ण सम्वाद : भगवान श्री कृष्ण का कर्ण के साथ रश्मिरथी आधारित संवाद

कर्ण-कृष्ण सम्वाद के अंतर्गत पढ़िए भगवान श्री कृष्ण का कर्ण के साथ रश्मिरथी आधारित संवाद। पिछले भाग में आपने पढ़ा था परशुराम कर्ण संवाद जिसपर आपने काफी सारा प्यार दिया था। जब पाण्डवों का बनवास पूरा हुआ तो वे नया तेज, नया उत्साह लिये वापस आये। उनकी ओर से मैत्री का सन्देश लेकर भगवान कृष्ण … Read more

कर्ण परशुराम सम्वाद : रश्मिरथी पर आधारित कर्ण और परशुराम की बातचीत

कर्ण महत्वाकांक्षी है। यद्यपि क्षत्रिय कुल में उत्पन्न होकर भी वह सूत-पूत के नाम से संसार में विख्यात है, तथापि उसके मन में संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनने की उत्कट अभिलाषा वर्तमान है।  वह कुशाग्रबुद्धि का प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति है। दिनकर ने महाभारतकालीन वातावरण का वर्णन करते हुए यह दिखलाया है कि उस समय वर्ण-व्यवस्था … Read more