रश्मिरथी का प्रतिपाद्य

‘रश्मिरथी’ की कथा वस्तु मौलिक नहीं है। यह ‘महाभारत’ से उद्धृत की गयी है। परन्तु यह कवि की मौलिक अनुभूति और अपनी विशिष्ट अभिव्यंजना शक्ति है जिससे उधार की कथा-वस्तु’ को उसने अपने ढंग से व्यक्त कर इसे एक नूतन कलाकृति के रूप में उपस्थित किया है। इस नूतन कलाकृति से कवि को चाहे जितना … Read more

कर्ण-कुन्ती सम्वाद : रश्मिरथी आधारित कर्ण कुंती संवाद

कर्ण कुन्ती का पुत्र है जिसका जन्म तब हुआ था जब कुन्ती कुमारी थी। कौमार्यावस्था में संतान का होना भारतीय संस्कृत में उचित नहीं माना जाता कुन्ती समाज के भय से कर्ण को मंजूषा में बन्द कर नदी में बहा देती है। किन्तु कर्ण बच जाता है। जब कौरव और पाण्डवी का युद्ध प्रारम्भ होने … Read more

संक्षेपण क्या है ? इसके प्रयोग एवं महत्व

जानिए  संक्षेपण क्या है ? संक्षेपण के प्रयोग एवं महत्व के साथ साथ इसके सामान्य नियमों का वर्णन। जिनकी मदद से आप अपने हिन्दी गद्य का संक्षेपण बेहद ही आसानी से कर सकेंगे.   संक्षेपण क्या है ? संक्षेपण वह रचना-रूप है जिसमें समास शैली के माध्यम से किसी रचना का सार तत्व लगभग एक तिहाई … Read more

पल्लवन क्या है? इसके सामान्य नियम एवं पल्लवन और संक्षेपण के बिच अंतर

जानिए पल्लवन क्या है एवं इसके सामान्य नियमों । इस ब्लॉग पोस्ट के जरिये हम पल्लवन का स्वरूप स्पष्ट करेंगे। साथ ही साथ पल्लवन एवं संक्षेपण में अन्तर स्पष्ट करेने का प्रयास करेंगे।  पल्लवन क्या है ? पल्लवन वह रचना रूप है जिसमें व्यास-शैली के माध्यम से दी गई पंक्तियों के अर्थ-तत्त्व को स्पष्ट किया … Read more

कर्ण-कृष्ण सम्वाद : भगवान श्री कृष्ण का कर्ण के साथ रश्मिरथी आधारित संवाद

कर्ण-कृष्ण सम्वाद के अंतर्गत पढ़िए भगवान श्री कृष्ण का कर्ण के साथ रश्मिरथी आधारित संवाद। पिछले भाग में आपने पढ़ा था परशुराम कर्ण संवाद जिसपर आपने काफी सारा प्यार दिया था। जब पाण्डवों का बनवास पूरा हुआ तो वे नया तेज, नया उत्साह लिये वापस आये। उनकी ओर से मैत्री का सन्देश लेकर भगवान कृष्ण … Read more

कर्ण परशुराम सम्वाद : रश्मिरथी पर आधारित कर्ण और परशुराम की बातचीत

कर्ण महत्वाकांक्षी है। यद्यपि क्षत्रिय कुल में उत्पन्न होकर भी वह सूत-पूत के नाम से संसार में विख्यात है, तथापि उसके मन में संसार का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनने की उत्कट अभिलाषा वर्तमान है।  वह कुशाग्रबुद्धि का प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति है। दिनकर ने महाभारतकालीन वातावरण का वर्णन करते हुए यह दिखलाया है कि उस समय वर्ण-व्यवस्था … Read more