Saturday, July 27, 2024
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कार्यालाय पत्र, व्यावसायिक पत्र एवं संपादकीय पत्र लेखन ( New Tips )

प्रवेशिका वर्ग के स्तर तक सामान्यतया परिवार के सदस्यों, सगे-सम्बन्धियों तथा सामाजिक मित्रों के नाम पत्र लिखने का तरीका मालूम करा दिया जाता है। अब कुछ विशेष प्रकार के पत्रों का लेखन किस प्रकार किया जाय, इसपर प्रकाश डाला जा रहा है।

पत्र के प्रकार

  1. कार्यालय पत्र (Official Letters),
  2. व्यावसायिक-पत्र ( Business Letters)
  3. सम्पादक के नाम पत्र ( Letters to Editors)
पत्र लेखन

 

कार्यालय-पत्र वे पत्र होते हैं, जो किसी कार्यालय (Office) के पदाधि

कारी के नाम लिखे जाते हैं। कार्यालय प्राचार्य का हो सकता है और कुलपति का

भी; डाकपाल वगैरह का भी हो सकता है, किसी मंत्री महोदय का भी। फिर, जब

हम किसी नौकरी की तलाश में होते हैं, तब विभिन्न बैंक आदि के कार्यालयों या

प्रतिष्ठानों के कार्यालयों में ‘एजेन्सी’ आदि के लिए पत्र लिखना होता है। नौकरी

करते समय भी छुट्टी पाने आदि के लिए आवेदनपत्र लिखने होते हैं। हम सबसे पहले वैसे पत्रों पर विचार करेंगे जो प्राचार्य या उपकुलपति के कार्यालय को विभिन्न उद्देश्यों से लिखे जाते हैं।

ऐसे पत्रों के चार भाग होते हैं।

  • प्रारम्भ,
  • सम्बोधन,
  • बीच का अंश एवं
  • अन्तिम भाग

पत्र के प्रारम्भ-भाग में ऊपर बायीं ओर जिसके नाम आवेदन-पत्र होता है, उसका पता दिया जाता है। जैसे

सेवा में,

प्राचार्य,

पटना कॉलेज,

पटना- 800005

संबोधन के रूप में प्राय: ‘मान्यवर’, ‘मान्य महोदय’, ‘महोदय’ आदि का प्रयोग किया जाता है।

बीच के भाग में जो कुछ निवेदन आप करना चाहते हैं, वह लिखा जाता है। पहले इसका प्रारम्भ ‘सविनय निवेदन है कि-‘ से किया जाता था और आज भी कई लोग करते हैं।

अन्तिम भाग में आवेदक का पता पत्र की दायीं ओर के कोने में होता है और ठीक उसके सामने बायीं ओर तिथि का निर्देश होता है। आवेदक को नाम के ऊपर ‘भवदीय’, ‘विश्वासभाजन’ ‘विश्वासपात्र’ आदि दिया जाता है।

कई आवेदन-पत्र में यह अन्तिम भाग ऊपर में दिखायी पड़ता है। वैसी हालत में आवेदक का पता और तिथि-निर्देश सबसे ऊपर दायीं ओर होना चाहिए।

सरकारी कार्यालयों में लिये जानेवाले पत्रों में सबसे ऊपर जिस पदाधिकारी के नाम लिखा जा रहा हो, ‘सेवा में’ से शुरू करते हुए उसका नाम, पद, पता, पुनः आवेदक का पता, तब ‘विषय’ तब सम्बोधन और पत्र का मजमून दिया जाता है। अन्त में आवेदक ‘भवदीय’, ‘विश्वासभाजन’, ‘भवन्निष्ठ’ ‘विश्वासपात्र’, ‘विश्वस्त’ आदि शब्दों में से किसी एक का प्रयोग करता है। कभी-कभी ऊपरी भाग में क्रम उलटा नी दीखता है। तात्पर्य यह कि पहले

‘प्रेषक’ का नाम, पता, फिर प्रेषित (जिसके नाम आवेदनपत्र दिया जा रहा हो)

का नाम, पता दिया जाता है।

यदि पत्र में अपना पत्रांक देना जरूरी हो, तो उसे सबसे ऊपर दिया जाता है तब इसके बाद ही आवेदक का नाम-पता आदि दिया जाता है। सरकारी कार्यालयों के पत्राचार में वहाँ से यदि कोई पूर्व-पत्र आया है तो

मजमून प्रारम्भ करने के पूर्व उसका प्रसंग देना अनिवार्य होता है।

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चलते चलते :

तो इस प्रकार आपने सिखा की किस प्रकार से हम अपने दैनिक जीवन में पत्राचार कर सकते है. यदि आपको पत्र लेखन से जुडी कोई समस्या सा सवाल है, तो कमेंट बॉक्स में मेंशन कर सकते हैं.
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