विभिन्न प्रकार के कार्यो के निष्पादन हेतु आवेदन पात्र लिखना अति आवश्यक ही जाता है.
निचे समाचार पत्र संपादक के पास लिखे जाने वाले पत्र का सैंपल है.
जिसका उपयोग कर के आप विभिन्न प्रकार के मुद्दों को उठाने के लिए किसी भी समाचार पत्र संपादक को पत्राचार कर सकते है.
1.शिक्षा और परीक्षा के गिरते स्तर के उत्थान का सुझाव हेतु समाचारपत्र के संपादक के नाम पत्र
सेवा में,
संपादक, दैनिक पत्र ‘हिन्दुस्तान’ पटना। महोदय,
मै आपके लोकप्रिय दैनिक पत्र के माध्यम से देशव्यापी शिक्षा और परीक्षा के गिरते स्तर के उत्थान के लिए निम्नलिखित सुझाव देना चाहता हूँ आज हमारे देश में शिक्षा और परीक्षा की गिरती हुई स्थिति और स्तर चित्य है। इन दोनों क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण आज ये माखौल के विषय बन गए हैं। शिक्षा के गिरते हुए स्तर का ही यह नमूना है कि आज का एक स्नातकोतीर्ण छात्र एक आवेदन पत्र भी हिन्दी में शुद्ध-शुद्ध लिखना नहीं जानता। परीक्षा के गिरते स्तर की स्थिति यह है कि यहाँ कदाचार को खुलकर प्रश्रय दिया जा रहा है। इसके लिए सुधार लाने हेतु हमे अपेक्षित मानसिकता तथा माहौल बनाना होगा। सर्वप्रथम हमें शिक्षा, प्रतिभाशाली व्यक्तियों को शिक्षक के रूप में नियुक्त करना होगा। शिक्षा जगत के उपवन में घुसे हुए जातिवाद तथा गंदी राजनीति के विपकीट को खत्म करना होगा। नए स्कूलों तथा कॉलेजों को धड़ाधड़ मान्यता न देकर उनकी सही क्षमता का मूल्यांकन करना होगा। परीक्षा में बढ़ते कदाचार को हर तरह से मिटाना होगा। इसके लिए परीक्षा में पूछे जा रहे प्रश्नों के स्वरूप तथा ढाँचे में परिवर्तन लाकर उन्हें वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का रूप देना होगा। कदाचार में लिप्त परीक्षार्थियों के लिए कड़ी सजा की व्यवस्था करनी होगी। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के क्षेत्र में पैरवी के प्रभाव को हर तरह से रोकना होगा। इस कार्य में लिप्त परीक्षार्थी अभिभावक तथा शिक्षक के लिए भी उचित दंड की व्यवस्था की अपेक्षा है। परीक्षा के प्रारंभ तथा परीक्षा-फल के प्रकाशन में समय की पाबंदी तथा एकरूपता का ख्याल करना होगा।
भवदीय
फलाना धिम्काना
2. विद्युत आपूर्ति में होनेवाली अनियमितता के संबंध में विद्युत मंत्री एवं तत्संबंधी पदाधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए किसी लोकप्रिय दैनिक समाचार पत्र के संपादक के नाम एक पत्र
सेवा में
संपादक,
दैनिक पत्र ‘आज’ पटना।
मैं आपके बहुचर्चित तथा सम्मानित दैनिक पत्र ‘आज’ के माध्यम से अपने मुंगेर में, व्याप्त घोर विद्युत-संकट की ओर बिहार के विद्युत मंत्री का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ। मुंगेर शहर के मुख्य बाजार, कचहरी तथा स्टेशन के क्षेत्र के नागरिक पिछले तीन-चार महीने से घोर विद्युत-सेंकट से परेशान है। इन क्षेत्रों में विद्युत की आपूर्ति की गड़बड़ी के कारण कभी भी विद्युत आपूर्ति नियमित नहीं है। चौबीस घंटे में मुश्किल से दो घंटे के लिए दक्षिण के क्षेत्र में तो तीन महीने से एक क्षण के लिए भी बिजली नहीं आई। पता चला है। उसकी आपूर्ति की जाती है। रात्रि में तो कभी बिजली आती ही नहीं। स्टेशन से पूर्व तथा कि उस क्षेत्र के दोनों ट्रासफॉरमर महीनों से जले पड़े हैं और उन्हें बदलने का कष्ट अभी तक विद्युत विभाग ने नहीं किया है। करीब ऐसे ही स्थिति एक महीने से कचहरी क्षेत्र की भी है। बताया जाता है कि वहाँ भी एक महीना पहले ट्रांसफॉमर जल गया। विभागीय पदाधिकारियों का ध्यान बार-बार इस ओर आकृष्ट किया गया है, लेकिन उनकी कुंभकरणी निद्रा और तेंद्रा टूटती ही नहीं।
इस विद्युत संकट के कारण शहर के इन क्षेत्रों का जन-जीवन काफी अस्त-व्यस्त हो गया है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, शाम में रसोई तथा रात्रि में दूकान के और परिवार के कार्य काफी बाधित हो गए हैं, वहाँ के सभी आटा मिल प्राय: बंद से हैं। शाम होते ही तमाम दुकानें बंद हो जाती है। पेय जलापूर्ति का कार्य विशेष संकटापन्न हो गया है। रात्रि में चोरी, डकैती तथा हत्याओं की दुर्घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। शाम होते ही लोग अपने-अपने घरों में बंद हो जाते है और ये सारे क्षेत्र रात्रि में श्मशानी शांति और बियावानी खामोशी के माहौल में डूब जाते हैं।
मैं इस पत्र के माध्यम से बिहार के विद्युत मंत्री का ध्यान मुंगेर शहर के इस विद्युत-संकट की ओर आकृष्ट कर इसे दूर करने का उनसे अनुरोध करता हूँ।
भवदीय
लवंडा देव
3. मुहल्ले में लाउडस्पीकरों के शोर से कष्ट का वर्णन करते हुए समाचार पत्र के सम्पादक को पत्र
सेवा में,
संपादक,
दैनिक जागरण, पटना (बिहार)।
विषय: मुहल्ले में लाउडस्पीकर के द्वारा शोर होने पर प्रतिबंधित या नियंत्रित या उसे रोकने के संबंध में।”
महाशय,
मै सुन्दर नगर मुहल्ले में रहता हूँ। यहाँ सुशिक्षित एवं संभ्रान्त लोग निवास करते हैं। सभी लोग अपने दैनिक कार्य में समयानुकूल व्यस्त रहते हैं। इस मुहल्ले में छात्रों
की भी अच्छी संख्या है। प्रतिदिन मुहल्ले में असमय लाउडस्पीकर बजाया जाता है जिसके कारण शांति भंग हो जाया करती है। सभी लोग इस कारण मानसिक पीड़ा से प्रतिदिन जुझते रहते है। छात्रों को भी अध्ययन में अत्यधिक कठिनाईयाँ उपस्थित हो जाती है।
अतः आपके समाचार पत्र द्वारा इसका प्रकाशन होता तो सक्षम पदाधिकारी इसपर नियंत्रण करने का आदेश देते तथा सुशिक्षित जनता भी ऐसा माहौल बनाती जिससे अमन-चैन स्थापित होता। इस समाचार के प्रकाशन के लिए आपको बधाई। दिनांक 17.3.2018
आपका
रामधीर सिंह, मुजफ्फरपुर।
4. पटना की बाढ़ की समस्या पर एक सम्पादक के नाम पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से इस समस्या के निजात (मुक्ति) के लिए प्रार्थना
सेवा में,
श्री सम्पादक, दैनिक ‘जागरण’
पटना
महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक ‘जागरण’ के मार्फत् पटने की बाढ़ की समस्या के संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता पिछले पन्द्रह वर्षों में विकास का कार्य ज्ञात-अज्ञात कारणों अवरुद्ध था। पटने में सीवरेज, ड्रैनेज एवं जल निकासी का कार्य नहीं के बराबर हुआ। इस कारण यहाँ थोड़ी भी वर्षा से नीचे के इलाकों में बाढ़ आ जाया करती है।
कंकड़बाग, लोहानीपुर, राजेन्द्रनगर, सब्जीबाग, राजीवनगर, पाटलिपुत्र, बोरिंग रोड इत्यादि मुहल्लों में पानी भर जाया करता है। स्कूलों को जिलाधिकारी को बंद करना पड़ता है। पानी ठेहुने से लेकर कमर और छाती तक भर जाया करता है। इस बार सभी नालियों जाम थी। इसलिए यह पानी पूरे महीने भरा रहा। राजधानी में सभी नरक का जीवन जीने के लिए बाध्य थे। नौकाएँ चलायी गयी। आवश्यक आवश्यकता एवं रोजमर्रे के प्रयोग की चीजें महँगी बिकने लगीं। लोग पानी में गिरने और मरने लगे। रिक्शे और टेम्पो के पहिए चैम्बर में फँसने-गिरने लगे। जन-जीवन सुरक्षित नहीं रह गया।
अतः मैं मुख्यमंत्री बिहार का ध्यान पटने की बाद की समस्या की ओर आकृष्ट कर यह निवेदन करना चाहता हूँ कि इससे मुक्ति के लिए स्थायी निदान किया जाय। सभी नालों को पूर्णतः साफ कराया जाय। जहाँ पानी जाम होता है, वहाँ की बाइपास सर्जरी करायी जाय। नए नाले बिछाए जाएँ और पानी को टैंकरों, पाइप से उठाकर नाले में फेंका जाए। शक्तिशाली जल निकासी पम्प लगाए जाए। हर एक हजार फीट पर पूरब से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण पानी के अनवरत प्रवाह के लिए बड़े नाले खुदवाएँ जायें। प्रत्येक निकासी पम्प स्थल पर दो-दो, चार-चार पम्प रखे जायें। पानी को पटना शहर के बाहर पुनपुन, सोन, गंगा में फेंका जाए। पटना का दोहरा सुरक्षा बाँध बनवाया जाय।
इन बातों की वैज्ञानिकता एवं व्यावहारिकता पर विचार कर इन्हें घटित कर छ: माह के अन्दर पूरा कर लिया जाय।
आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि पटने की बाढ़ से रक्षा के लिए मुख्यमंत्री अवश्य ही ध्यान देंगे। राजधानी की रक्षा भला कौन नहीं करना चाहेगा ?
भवदीय
मनोज मुन्तसिर, पटना
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