Thursday, November 21, 2024
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21 प्रसिद्ध हिंदी मुहावरे एवं वाक्य प्रयोग द्वारा उनके अर्थ

जो वाक्य अपना शाब्दिक अर्थ न जताकर किसी अन्य विलक्षण अर्थ का बोध कराते है, उन्हें मुहावरा कहते हैं। मुहावरों का प्रयोग स्वतन्त्र रूप से नहीं बल्कि वाक्यों के अन्तर्गत होता है। इसके प्रयोग से भाषा में चमत्कार, सजीवता और चुस्ती आती है। नीचे कुछ प्रचलित हिन्दी मुहावरे दिये गये हैं.

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21 प्रसिद्ध हिंदी मुहावरों का मतलब 

1. अन्न-जल उठना (रहने का संयोग न होना, मरना)- मालूम होता है कि तुम्हारा यहाँ से अन्न-जल उठ गया है, जो सबसे बिगाड़ किये रहते हो। 

2. अंत विगाड़ना (जीवन के अन्तिम समय को खराब करना)-तुम धर्म विरुद्ध कार्यों में लिप्त रहकर क्यों अपना अंत बिगाड़ रहे हो? 

3. इन्द्रासन की परी होना (शेखी बढ़ना/किसी स्त्री द्वारा गर्व प्रकट किया जाना/इतराना) उसके नाज-नखड़े को देखकर ऐसा लगता है मानो वह इन्द्रासन की परी हो गयी हो। 

4. ऊंट के मुँह में जीरा (आवश्यकता से कम दिया जाना)- अरे भाई, दो चपातियों से ऐसे विशालकाय व्यक्ति का पेट कैसे भरेगा?- ऊँट के मुँह में जीरे का फोड़न देते हो ? 

5. एक अनार सौ बीमार (वस्तु एक, उसको पाने के लिए उत्सुक लोग अनेक)-कृष्ण एक थे पर उनको चाहनेवाली गोपिकाएँ अनेक थी- एक अनार सौ बीमार 

6. सिर उठाना (विरोध में खड़ा होना)-देखता हूँ, मेरे सामने कौर सिर उठाता है? 

7. मुँह छिपाना (लज्जित होना) वह मुझसे मुँह छिपाये बैठा है।

8. बात बढ़ाना (झगड़े की स्थिति पैदा करना)-अब तुम दोनों शान्त हो जाओ, क्यों बढ़ा रहे हो?

9. आँख मारना (इशारा करना)-उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।

10. आस्तीन का साप (कपटी मित्र)- उससे सावधान रहना, वह आस्तीन का साँप है।

11. गंगालाभ होना (मृत्यु को प्राप्त होना)- उसके वृद्ध पिता का कल गंगा लाभ हो गया। 

12. गड़े मुर्दे उखाड़ना (दबी हुई बात को फिर से उभारना)- जो हुआ सो हुआ, अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या लाभ?

13. अंगारों पर पैर रखना (जान-बूझकर हानिकारक कार्य करना)- तुम अपने पिता के इकलौते पुत्र हो। इस तरह अंगारों पर पैर न रखो। 

14. घर का न घाट का (कही का नहीं) कोई काम आता नहीं और न लगन ही है कि कुछ सीखे-पढ़े। ऐसा घर का न घाट का जिये तो कैसे जिये ! 

15. हाथ मलना (पछताना)-अवसर हाथ से निकल जाने पर वह हाथ मलता रह गया। 

16. फब्तियाँ कसना (व्यंग्य करना, छींटाकशी करना)-जो खुद चुरे है, वे अच्छे लोगों पर फब्तियाँ कस रहे है।

17. वात का धनी (जो केवल बात का धनी हो, काम का नहीं)- उससे कुछ नहीं होने वाला, वह केवल बात का धनी है। 

18. बगुला भगत होना (धर्म के नाम पर भक्ति का पाखंडी)- अरे, उसकी भक्ति के पाखंड में न फँसना, वह बगुला भगत है। 

19. कमर कसना (किसी कठिन संघर्ष से जूझने के लिए तैयार हो जाना)- अकबर से मुकाबले के लिए महाराणा प्रताप ने कमर कस रखी थी।

20. आँख फटना (अचरज-भरी बात को देखकर हतप्रभ हो जाना)– उस विस्मयकारी दृश्य को देखकर उसकी आँखें फट गयीं। 

21. होंठ चाटना (अधिक खाने की इच्छा रखना, स्वाद याद आना)-प्रीति भोज में मिठाइयाँ खा लेने के बाद वह होठ चाटता रहा।

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